मैं क्या कहूँ
क्या
मैं ये कहूँ की-
तुम बहुत बुरी थी
बेवफा थी
धोखेबाज थी
तो सुन लो
मैं
नहीं कह सकता,
क्या
शराब की लत लगा डालूँ
तुम्हारे गम में जीना छोड़ दूँ
या फिर
या फिर
तुम्हारे याद में
तड़पता रहूँ
बताओ मैं क्या करूं
तो सुनो
मैं
ये भी नहीं कर सकता
आखिर
किस बात से खुश होओगी तुम
मैं भी कैसा पागल हूँ..
तुम्हे अगर मालूम ही होता
फिर तुम जाती ही क्यों
मुझे
अकेला और
बेसहारा छोड़कर .......
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हटाएंदर्द की अच्छी अभिव्यक्ति.
जवाब देंहटाएंकविता साथ के चित्र में मूर्त हो उठी है.
जवाब देंहटाएंvery nice presentation.
जवाब देंहटाएंइतनी निराशा क्यों ..नए सिरे से जीवन सुरु करो
जवाब देंहटाएंबेह्तरीन अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंमनोभावों का सशक्त चित्रण, बहुत शुभकामनाएं.
जवाब देंहटाएंरामराम.
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति मित्र | बहुत सुन्दर रचना | आभार
जवाब देंहटाएंTamasha-E-Zindagi
Tamashaezindagi FB Page
बहतरीन प्रस्तुति बहुत उम्दा।।।।।।।। और ..भाव पूर्ण रचना .. बहुत खूब
जवाब देंहटाएंआज की मेरी नई रचना जो आपकी प्रतिक्रिया का इंतजार कर रही है
ये कैसी मोहब्बत है
खुशबू
dard bhari rachna
जवाब देंहटाएंशुक्रिया पंकज मेरी कविता को पसंद करने के लिए
जवाब देंहटाएंआपकी ये नज़्म पढ़ी . बहुत सुन्दर लिखा है .. बधाई स्वीकार करिए
प्रेम के कई शेड्स है इसमें. शब्द भावपूर्ण है .
विजय
www.poemsofvijay.blogspot.in
भाव पूर्ण रचना
जवाब देंहटाएंइसे थोडा कवितामय बनाने की कोशिश कीजिये .....!!
जवाब देंहटाएंNice...
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