गुरुवार, 25 अप्रैल 2013

कुछ हाईकु


और कितनी
गुड़िया तोड़ेगा तू
मासूम भोली 
मासूम बच्ची
दो हज़ार में ले लो
इंसानियत सस्ती ...
जीना छोड़ दूं
कोई उम्मीद नहीं
लौटेगा कोई -
मौन रही तू
तो मैं भी कुछ कहाँ
कह सका था 
जलाओ मुझे
अबला समझ के
चुप रहूंगी
 
हकीकत है
पाक हुआ नापाक
काले इरादे

 

मंगलवार, 26 फ़रवरी 2013

देश की कहानी




जब घर में अँधेरा छाता है
चाँद भी मुँह फेर जाता है
लोगों के ताने को सुन
सूरज उगने से घबराता है

जब रोज-रोज की बदहाली से
घर में तंगी हो जाती है
घरवाला माथा पिटता है
घरवाली मायके चली जाती है

जब बंजर भूमि को देख किसान
आत्महत्या कर लेते हैं
तब नया फरिश्ता आता है
संग नयी योजना लाता है
झोपड़ियों की डिबिया बुझा
शौक से बिजली चमकता है


 जब पिज्जा बर्गर की आंधी में
सूखी रोटी उड़ जाती है
कोई तरसता है दाने-दाने को
कोई लात मरता खाने को

लोकतंत्र है पर लोक नहीं
न राजतन्त्र में राजा
आधा से ज्यादा लूट चुके
कहते हैं
जो बचा है वो भी आजा

दुनिया है दिलदारों की
कमी नहीं कद्रदानों की
जब कोई हुंकार लगाता है
और सोए को जगाता है
सरकार फुर्सत से खबर छपवाती है
और उनको जेल भिजवाती है

भला हमारे आकाओं की
ये कैसी मनमानी है
ये सिर्फ एक की नहीं
पूरे देश की कहानी है......
पूरे देश की कहानी है........
पूरे देश की कहानी है.............|

शनिवार, 23 फ़रवरी 2013

वसंत


तेरा आना भी अखरता है
तेरा जाना भी अखरता है

डूबा हूँ किसी की याद में
अब याद सताना अखरता है

जब  उभरती है पुरानी यादें जेहन में
तब खुद पे रोना अखरता है

भर दिए तूने फूलों से गुलशन
तेरा खुद पे इतराना अखरता है

घमंड  है तुझे बसंती बयारों पर
मुझे लोगों का सिहरना अखरता है

बहुत  कह लिया  बहुत सुन लिया
अब तेरा  नाम लेना भी अखरता है ...