तक़दीर का जलना जारी है
ये समय की मारा मारी है
यहाँ फफोले पड़ गए पैरों में
वहाँ खाली जा रही सवारी है
रोटी पे नमक को तरस रहे
भला ये कैसी लाचारी है
जहाँ रिश्ते नातों की कद्र नहीं
वहाँ दुल्हन बैठी कुँवारी है
घर फूटे और गवार लुटे
कहावत कितनी प्यारी है
लिखते हो ‘पंकज’ खूब लिखो
समझ लो लेखन अब बेगारी है
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हटाएंवाह पहली बार पढ़ा आपको बहुत अच्छा लगा.
जवाब देंहटाएंdhnywad sanjay jee
हटाएंsach mein lekhan toh begaar hi hai ..
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