सोमवार, 8 अक्तूबर 2012

आइये मिलकर रोते है


आइये
हम सब मिलकर रोते है
भारत में  
फैले भ्रष्टाचार पर
भारत में
किसानो की हत्या पर

आइये रोते हैं
सुरसा के मुंह की भांति फ़ैल रही
महंगाई पर
भारतीय राजनीती पर
यहाँ के रोडपति से करोड़पति बने
भ्रष्ट नेताओं पर  

आइये रोते हैं
गरीबी
लोभ
लालच और मोह पर
अन्ना केजरीवाल और रामदेव पर

आइये रोते हैं
हम सब मिल बाँट कर
रोते हैं
हम भारतीय हैं
हम एक हैं
आइये
हम अपनी एकता को दिखाते हैं
आइये
हम सब मिलकर रोते है


गुरुवार, 4 अक्तूबर 2012

तेरी चाहतों को ......


तेरी चाहतों को अपने दिल में दबाकर
तेरी यादों को अपना बनाए हुए हैं

अरे बेखबर जरा देखो इधर भी
तुम्हारे ही गम के सताए हुए हैं

बारिश की बूंदों से भीगा नहीं मैं
खुद की आँसुओं में नहाए हुए हैं

दुआओं में उठते हैं मेरे हाथ अब भी
सलामती को तेरे सर झुकाए हुए हैं

राह-ए–मुहब्बत में बैठा हूँ अब तक
तेरी राहों में पलकें बिछाए हुए हैं

आए नहीं अब तक शौकीं-ए–मुजरा
अभी भी हम महफ़िल जमाए हुए हैं

मुकद्दर भी रूठा है दुनिया भी रूठी
तेरे ही दर से तो ठुकराए हुए हैं

जिन्हें शौक हों वो खेलें शोलों से
हम तो पानी के जलाए हुए हैं

मंदिर-मस्जिद न गिरजा गुरुद्वारा
खुदा-ए-मुहब्बत दिल में बसाए हुए हैं

देकर ‘पंकज’ को सजा-ए-मुहब्बत
खुद को शहंशाह बनाए हुए हैं