मेरे आँखों में आँसू भर आए
जब हीना लगी तेरे हाथों में
किसने जाना कल क्या होगा
कुछ कमी रही जज्बातों में
काँप गए रूह तक भी मेरे
जब महावर लगी तेरे पाँवों
में
बिखरा पड़ा था टूटकर मैं
जब सज आयी बारात तेरे गाँव
में
भटकता रहा गली-गली ‘पंकज’
जब सुकून ना मिला तेरी छाँव
में
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