तुम्हे तो हर रोज भीगना
होता है
हर रोज सहना होता है
अनचाहे स्पर्श को,
हर रोज सामना होता है
दैत्यों से,
मैं पूछता हूँ कि आखिर
कब तक चलेगा ये बहाना
की तुम एक औरत हो,
कह क्यों नहीं देती कि
नहीं सह सकती
अब उस दर्द को
जो दिए हैं तुझे अपनों ने
पराया समझकर,
क्यों बनाती हो बहाना
सब जानकर भी ना जानने
का...|
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