वो भी हैं, 
उनके यहाँ घूमते हैं 
ब्रांडेड पंखे और 
तुम घुमाते हो ताड़ के पंखे,
उनके यहाँ 
बिजली बत्तियों की चकाचौंध
है 
तुम्हारे यहाँ डिबिया से
तेल गुम है,
तुम उनके जनता हो और 
वे तुम्हारे जनार्दन,
वे शोषण करते हैं और तुम 
शोषित होते हो,
वो वोट मांगते हैं 
तुम खून देते हो, और 
वो बेशर्मी से तुम्हारा खून
चूसते हैं 
और जी भर जाने पर 
तुम्हारा ही खून.
तुम्हारे 
मुंह पर थूकते हैं,
तुम निर्भर हो 
जंगल- झार पर 
और वे जंगल काटने में लगे
हैं,
तुम विरोध करते हो 
उनका एक रजनीतिक मुद्दा
बनता है, 
कुछ खास फर्क नहीं है 
‘तुझमे’ और ‘उनमे’
तुम्हारे ‘वो’ 
कुछ दे या ना दे 
सब कुछ मिलेगा,
सब कम होगा, का 
आश्वासन जरुर देते
हैं,
वे चैन से सोते हैं
बिना किसी रुकावट के 
और तुम, 
लड़ते हो चैन से सोने
के लिए ...                                                                 
. 
इस टिप्पणी को एक ब्लॉग व्यवस्थापक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को एक ब्लॉग व्यवस्थापक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को एक ब्लॉग व्यवस्थापक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को एक ब्लॉग व्यवस्थापक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को एक ब्लॉग व्यवस्थापक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को एक ब्लॉग व्यवस्थापक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएं