मेरी यात्रा
मेरे विचारों का ये सिलसिला जारी रहेगा मौत के बुलावे तक.......... @पंकज कुमार साह,,,,
गुरुवार, 25 अप्रैल 2013
कुछ हाईकु
और कितनी
गुड़िया तोड़ेगा तू
मासूम भोली
मासूम बच्ची
दो हज़ार में ले लो
इंसानियत सस्ती ...
जीना छोड़ दूं
कोई उम्मीद नहीं
लौटेगा कोई -
मौन रही तू
तो मैं भी कुछ कहाँ
कह सका था
जलाओ मुझे
अबला समझ के
चुप रहूंगी
हकीकत है
पाक हुआ नापाक
काले इरादे
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