शुक्रवार, 24 अगस्त 2012

औरत


वो कहती है
जलती रही हूँ वर्षों से
आगे भी जलती रहूँगी
तब तक
जब तक की खाक ना हो जाऊँ
ताकि उसके बाद भी
काम आ सकूँ
और एक बार फिर उपयोग में लायी जा सकूँ
जरुरत की वस्तु समझ कर ..|

कह क्यों नहीं देती...?


तुम्हे तो हर रोज भीगना होता है
हर रोज सहना होता है
अनचाहे स्पर्श को,
हर रोज सामना होता है
दैत्यों से,
मैं पूछता हूँ कि आखिर
कब तक चलेगा ये बहाना
की तुम एक औरत हो,
कह क्यों नहीं देती कि
नहीं सह सकती
अब उस दर्द को
जो दिए हैं तुझे अपनों ने
पराया समझकर,
क्यों बनाती हो बहाना
सब जानकर भी ना जानने का...|